Breeding List

1. Black Bengal Bakri:

ब्लैक बंगाल बकरी सामन्यतः बांग्ला देश में पायी जाती है | लेकिन इंडिया के कुछ उत्तर पूर्वी राज्यों जैसे पश्चिम बंगाल, बिहार, उड़ीसा में भी इनका पालन किया जाता है | इनका पालन मीट के उत्पादन हेतु किया जाता है | क्योकि दूध उत्पादन करने के मामले में यह नस्ल थोड़ी कमज़ोर होती हैं | ध्यान रहे ब्लैक बंगाल नाम हो जाने से ये बकरियां केवल काले रंग की नहीं होती, बल्कि इनका रंग भूरा, सफ़ेद इत्यादि भी हो सकता है | इस नस्ल की बकरियों को परिपक्व होने में अन्य बकरियों की तुलना में कम समय लगता है | और परिपकवता में बकरे का भार 25 से 30 किलो, और बकरी का भार 20 से 25 किलो तक होता है |

Black Bengal Goat ki Visheshtaye:

  • एक बार में दो या तीन बकरियों को जन्म देने का सामर्थ्य रखती हैं |
  • किसी भी वातावरण में अपने आप को जल्दी ढाल लेती हैं ।
  • आकार में छोटी होने के कारण, खाना कम खाती हैं । जिससे खाने का खर्चा कम आता है ।
  • आकार छोटा होने के कारण अन्य बकरियों की तुलना में कम जगह लेती हैं । जिससे इनका पालन छोटी सी जगह से भी शुरू किया जा सकता है ।
  • एक साथ दो या तीन बकरियों को जन्म देने के कारण आपका Goat Farm बहुत जल्दी बड़े Farm के रूप में तब्दील हो सकता है |
  • इस नस्ल की बकरियों में एक साल में दो बार प्रजनन करने की क्षमता होती है |

2. Boer Bakri

यह बोअर बकरी नस्ल साउथ अफ्रीका में पाई जाने वाली बकरियों की एक नस्ल है | लेकिन चूंकि इनका पालन भी मांस उत्पादन हेतु किया जाता है | इसलिए इंडिया में भी इस नस्ल की बकरियों का पालन किया जाता है | कहते हैं की Boer शब्द को डच भाषा से लिया गया है | जिसका मतलब किसान होता है | जहाँ 3 महीने के समय में इस नस्ल की बकरियों का भार 12 से 18 किलो तक होता है | वहीँ छह महीने में इनका भार 18 से 30 किलो तक हो जाता है | और पूर्ण रूप से परिपक्व होने पर इस नस्ल के बकरे का भार 75 से 90 किलो, वही बकरी का भार 45 से 55 किलो के बीच रहता है |

Boer Bakri ki Visheshtaye

  • इस नस्ल की बकरियां हर प्रकार के वातावरण ठंडा हो या गरम में आसानी से ढल जाती हैं | अर्थात बकरियों की तबियत ठीक ठाक रहती हैं, वे बीमार नहीं पड़ती |
  • इस नस्ल की बकरियां खाना अच्छा अर्थात अधिक खाती हैं | उसी प्रकार जल्दी से बढ़ती भी हैं |
  • अन्य बकरियों की तुलना में बहुत कम समय में इनका भार बहुत अधिक हो जाता है |
  • चूंकि इस नस्ल की बकरियों में बीमारी रोधक क्षमता अधिक होती है | इसलिए बहुत कम ख्याल रख के भी इनका पालन किया जा सकता है |

3. Jamuna Pari Bakri

बकरियों की इस नस्ल को आप इंडिया उत्पादित नस्ल कह सकते हैं | कहते हैं की इस नस्ल का नाम Jamuna Pari जमुना नदी के नाम से रखा गया है | और इस नस्ल की बकरियों का पालन मांस की आपूर्ति के अलावा दूध की आपूर्ति हेतु भी किया जाता है | अर्थात इस नस्ल की बकरियों की दूध देने की क्षमता भी अच्छी होती है | इस प्रजाति की बकरियां आपको इंडिया में अधिकतर मध्य प्रदेश, उत्तर प्रदेश, कर्नाटक, तमिलनाडु, गुजरात, आंध्रा प्रदेश, तेलंगाना, महाराष्ट्र इत्यादि राज्यों में देखने को मिल जाएँगी | परिपकवता में इस नस्ल के बकरे का भार 50 से 60 किलो, वही बकरी का भार 40 से 50 किलो होता है |

Jamuna Pari Bakri Ki Visheshtaye:

  • इस नस्ल की बकरियां साल में एक ही बार प्रजनन करने की क्षमता रखती हैं | लगभग 60% बकरियां सिंगल बकरी को ही जन्म देती हैं | जबकि लगभग 40% बकरियां दो बकरियों को जन्म देती हैं |
  • बकरियों में औसतन एक दिन में दूध देने की क्षमता दो लीटर तक होती है | और दूध देने की समय सीमा तीन साढ़े तीन महीने होती है |
  • इस नस्ल की बकरियों का मांस स्वादिष्ट होने के साथ साथ, cholesterol भी कम होता है |
  • इस नस्ल की बकरियों में लगभग 18 महीने में ही गर्भधारण करने की क्षमता आ जाती है |

4. Sirohi Bakri:

इस नस्ल का नाम सिरोही राजस्थान राज्य के एक जिले सिरोही के नाम से रखा गया है | इस नस्ल की बकरियों का पालन पहले राजस्थान में ही अधिक मात्रा में किया जाता था | लेकिन अब सम्पूर्ण इंडिया में इस नस्ल की बकरियों का पालन किया जाता है | इस नस्ल की बकरियों का पालन भी मांस की आपूर्ति हेतु ही किया जाता है | हालांकि ये दूध भी देती हैं लेकिन इनकी दूध देने की क्षमता प्रत्येक दिन केवल आधा लीटर तक होती है |

Sirohi Bakri ki Visheshtaye:

  • इस नस्ल की बकरियां अपनी उम्र के 20 महीने या 22 महीने में पहला गर्भ धारण करती हैं |
  • इस नस्ल की बकरियां एक साल में दो बार गर्भ धारण कर सकती हैं | लगभग 40% बकरियाँ सिंगल बकरी और लगभग 60% बकरियां दो बकरियों को जन्म देती हैं |
  • परिपकवता में इस नस्ल के बकरे का भार लगभग 30 किलो और बकरी का भार लगभग 32 किलो होता है | इस नस्ल में बकरियों का भार बकरे की तुलना में अधिक होता है |

5. Beetal Bakri

इस नस्ल की बकरियों का पालन इंडिया और पाकिस्तान में किया जाता है | और इनका पालन दूध और मांस दोनों की आपूर्ति हेतु किया जाता है | क्योकि इस नस्ल की बकरिया एक दिन में 1 या दो लीटर दूध देने की क्षमता भी रखती हैं | इस प्रकार की नस्ल की बकरियां अपने आपको किसी भी वातावरण में ढालने की क्षमता रखती हैं |

Beetal Bakri ki Visheshtaye:

  • इस नस्ल की बकरियों का पालन मांस और दूध दोनों की आपूर्ति हेतु किया जा सकता है |
  • यदि हम Jamna Pari से इनकी तुलना करें तो यह उनसे छोटी होती हैं |
  • जन्म के समय इस नस्ल की बकरी का भार लगभग 2.5 किलो होता है |
  • परिपक्व होने पर इस नस्ल के बकरे का भार 50 से 65 किलो और बकरी का भार 40 से 45 किलो होता है |
  • इस नस्ल की बकरियां अपनी उम्र के 23 से 25 महीनो में पहला गर्भधारण करती हैं |
  • इन बकरियों में प्रत्येक दिन औसतन दूध देने की क्षमता 1.5 से 2.5 लीटर के बीच होती है | और दूध देने की समय सीमा लगभग 6 महीने होती है |

6. Barbari Bakri

बर्बरी नस्ल एक डेयरी प्रकार बकरी है जो अफ्रीका के सोमाली भूमि में बरबेरा शहर में पैदा हुई है। यह नस्ल की बकरीया भारत में लाई गयी है जो अब यू0पी0 के आगरा, मथुरा, इटावा, अलीगढ और राजस्थान के जिले के आस पास भारी संख्या मेें पाई जाती है।

बर्बरी बकरियों का शरीर छोटी और ठोस होती है यह बकरीयो के शरीर के बाल छाटे छोटे होते है इसके शरीर सफेद के साथ-साथ छोटे हल्के भूरें रंग के पेच होते है इसके कान छोटे और हमेशा खडे रहते है।

यह बौना नस्ल की बकरी है जिसे हम लोग गाय की तरह अपने घर में भी पाल सकते है और इसलिए आमतौर पर शहरो में पाई जाती है। इन बकरीयों को लोग मांस और दूध के लिए इस्तेमाल करते है। यह बकरी का मांस बहुत ही स्वादिष्ट होता है।

Barbari Bakri ki Visheshtaye:

  • यह रोज औसत 1 किलो दूघ देती है।
  • इन बकरीयों की प्रजनन क्षमता बहुत ही अच्छी होती है ज्यादा तर जुडवा या तीन बच्चे को जन्म देती है|
  • यह साल में दो बार बच्चे देती है यह 20% सिंगल बच्चे जन्म देती है 65% बकरियो में जुडवा होता है और 15% तीन बच्चे देती है।
  • इस नस्ल के बकरे के शरीर का वजन 25-40 और बकरी का 20-30 होता है।
  • इस नस्ल के बकरे के शरीर का लम्बाई 65.5 और बकरी का 50.5 होता है।

7. Totapari Bakri

Totapari goats are extremely curious and intelligent. They are also very coordinated and widely known for their ability to climb and hold their balance in the most precarious places. This makes them only ruminant able to climb trees, although the tree generally has to be on somewhat of an angle.

Totapari Bakri ki Visheshtaye:

  • Totapari is one of the oldest domesticated species, and have been used for milk, meat , hair, and skins over much of the world.
  • High milk productivity.
  • Available in different colors.

8. Sojat Bakri

सोजत नस्ल के बकरे राजस्थान के छोटे शहर सोजत में पाई जाती है यह पाली मारवाड़ और अजमेर मार्ग के बीच में पड़ता है।

सोजत बकरी को पहले दूध के लिए लोग इस्तेमाल करते थे। मगर आज लोग इसे मांस के लिए भी प्रयोग करते है। सोजत बकरी में यह खास बात होता है कि ज्यादातर बकरी और बकरे की सींग नही होती और इस बकरी का रंग सफेद होता है और इनके शरीर में काले धब्बे होते है। इनके कान 8 से 10 इंच तक लम्बे होते है।

इस नस्ल की बकरियां बकरी फार्म के लिए इस्तेमाल होती है। जो लोग बकरी पालन करने की सोच रहे है। उनके लिए इस नस्ल की बकरी बहुत ही लाभदायक होगी यह बहुत ही खाने पीने वाली बकरी है। और यह 3 माह में 25 किलो तक बढ़ सकती है। यह बकरी 14 माह में 2 बार बच्चे देती है। और 40% सिंगल और 60% जुड़वा बच्चे देती है और यह बकरे हर मौसम के लिए उचित होते है।

Sojat Bakri ki Visheshtaye:

  • यह बकरी औसत एक दिन 1.5 से 2 लीटर दूध देती है|
  • इस नस्ल के बकरे के शरीर का वजन 56-65 और बकरी का 45-55 होता है।
  • इस नस्ल के बकरे के शरीर का लम्बाई 75cm और बकरी का 70cm होता है।
  • इस नस्ल के बकरे के चेस्ट का घेरा 74.5cm और बकरी का 70.5cm होता है।

9. Osmanabadi Bakri

ओस्मनाबादी बकरीयों का रंग 70ः काला होता है और 30ः सफेद या भूरे रंग के होते है इनके शरीर का आकर बड़ा होता है और पैर लम्बे लम्बे होते है। यह नस्ल की बकरीया 16 से 19 महीने में बच्चा देने योग्य हो जाती है यह साल में 2 से 3 बार बच्चे दे सकती है। ओस्मनाबादी बकरीया को ज्यादा तर मांस और दूध के इस्तेमाल में लाया जाता है। इसकी प्रजनन क्षमता अच्छी होने के कारण यह बहुत ही लोकप्रिय बकरी की नस्ल में से एक है।

यह किसी मौसम में आसानी से रह सकती है इसका मांस बहुत ही स्वादिष्ट होती है। और यह नस्ल की बकरी की मांग लोगों में बहुत ज्यादा है। इस बकरी का पालन कर के ज्यादा से ज्यादा लाभ उठा सकते हैं।

Osmanabadi Bakri ki Visheshtaye:

  • इस नस्ल की बकरी एक दिन में कम से कम 1 से 1.5 लीटर दूध देती है।
  • इस नस्ल के बकरे के शरीर का वजन 35-38kg और बकरी का 30-35kg होता है।
  • इस नस्ल के बकरे के शरीर का लम्बाई 65cm और बकरी का 68cm होता है।
  • इस नस्ल के बकरे के चेस्ट का घेरा 71.5cm और बकरी का 68.5cm होता है।

भारतवर्ष से जुड़ा हर एक क्षेत्र Bakri Palan Business करने के लिहाज से उपयुक्त क्षेत्र माना गया है | बस आपको अपना Bakri Palan बिज़नेस शुरू करने के लिए आपके घर के आस पास ही कोई ऐसी जगह तलाश करनी है | जहाँ से आप इस बिज़नेस को आसानी से क्रियान्वित कर सको | लेकिन इसके अलावा जमीन का चुनाव करते वक़्त निम्न बातो का ध्यान रखा जाना बेहद आवश्यक है |

  • ऐसी जगह जमीन की तलाश कीजिये जहाँ पर शुद्ध हवा, पानी प्रचुर मात्रा में उपलब्ध हो |
  • जिस जगह पर हरी घास, कुछ अनाज आसानी से पैदा किया जा सके | क्योकि इस जमीन द्वारा उत्पादित हरी घास, अनाज इत्यादि बकरियों को खिलाकर आप इनके खाने का खर्च कम कर सकते हैं |
  • ध्यान रहे की आपके Bakri Palan business करने की जगह के आस पास कोई ऐसी मार्किट हो जहाँ पर आपको आपकी बकरी पालन बिज़नेस से सम्बंधित वस्तुएं और दवाएं आसानी से मिल जाएँ |
  • ग्रामीण भारत में ही Bakri Palan बिज़नेस की सोचें | क्योकि शहरो के मुकाबले गांवों में जमीन और लबोर बहुत सस्ते दामों में उपलब्ध रहते हैं |
  • ध्यान रहे आपकी Goat Farming का क्षेत्र ऐसा होना चाहिए जहाँ पशु चिकित्सा सम्बन्धी सारी सेवाएं उपलब्ध हों | यदि नहीं है, तो आपको सारी दवाएं और टीके अपने फार्म में ही रखने पड़ेंगे |
  • यातायात की सुविधा का होना जरुरी है ताकि जरुरत पड़ने पर आप अपनी जरुरत की वस्तुएं किसी नज़दीकी मार्किट से खरीद सको | और अपने Goat Farm द्वारा उत्पादित उत्पाद को आसानी से बेच सको |

Housing को Hindi में घर बनाना कहते हैं | चूँकि यहाँ पर Goat Farming की बात हो रही है, इसलिए इस वाकये में हाउसिंग का अर्थ Bakri Palan के लिए घर बनाने से लगाया जाना चाहिए | बकरी पालन करने के लिए बकरियों के लिए घर बनाना एक बहुत ही महत्व्पूर्ण काम है | लेकिन ग्रामीण भारत में इस क्रिया को महत्व्पूर्ण स्थान शायद नहीं दिया जाता | क्योकि जो लोग छोटे पैमाने पर Bakri Palan करते हैं | वे बकरियों के लिए कोई अलग सा घर ना बनाकर, उन्हें अन्य पशुओं के साथ ही ठहरा देते हैं | जिससे उनकी उत्पादकता पर इसका असर साफ़ तौर पर दिखाई देता है | व्यवसायिक तौर पर बकरी पालन करने के लिए बेहद जरुरी हो जाता है | की बकरियों के रहने के लिए एक अलग सा स्थान तैयार किया जाय, और निम्न बातों का ध्यान विशेष तौर पर रखा जाय |

  • अपने बिज़नेस को लाभकारी बनाने हेतु आपको बकरियों के रहने के स्थान का विशेष ध्यान रखना पड़ेगा | बकरियों के रहने के स्थान पर नमी, सीलन नहीं होनी चाहिए | चूहों, मक्खियों, जूँ इत्यादि कीट पतंगे बकरियों के रहने के स्थान पर बिलकुल नहीं होने चाहिए |
  • बकरियों के लिए घर बनाते समय हवा के आने जाने वाले मार्गो का उचित ध्यान रखे | अर्थात शुद्ध हवा अंदर आने के लिए कोई न कोई स्थान अवश्य छोड़ें |
  • बकरियों के रहने के स्थान से पानी निकास की उचित व्यवस्था पहले से ही कर के रखे | क्योकि गीलेपन और नमी से बकरियों में बीमारी पैदा हो सकती है | इसलिए बकरियों के रहने के स्थान को हमेशा सूखा रखे |
  • ध्यान रहे बकरियों के रहने के स्थान पर किसी प्रकार का पानी चाहे वह बारिश का हो या किसी अन्य वजह से, आने न पाए | यह पानी बकरियों को परेशान करता है |
  • तापमान को नियमित संयमित करने के लिए अच्छे ढंग से तापमान नियंत्रण सिस्टम होना चाहिए | ताकि आप सर्दियों में अपने Farm को गरम और गर्मियों में संयमित रख सको |
  • अपने Bakri Palan बिज़नेस से जुड़े सभी उपकरणों, बर्तनों की सफाई का विशेष ध्यान रखें |

  • इन सबके अलावा आपको अपने Bakri Palan बिज़नेस के लिए उनके खाने पीने का विशेष ध्यान रखना पड़ेगा | आप चाहें तो बकरियों के खाने का खर्च कम करने के लिए खुद भी उनका खाना घर में बना सकते हैं | इसके लिए आपको निम्नलिखित सामग्री चाहिए होगी |
  • चोकर: चोकर अनाज के भूसे में थोडा बहुत आटा मिलाकर बनाया जाता है |
  • मक्के का दर्रा, बादाम खली, चने का छिलका, मिनरल मिक्सचर, नमक इत्यादि |
  • आपको 100 किलो बकरियों का खाना बनाने के लिए 45 किलो चोकर, 25 किलो मक्के का दर्रा, 15 किलो बादाम खली, 12 किलो चने का छिलका, 2 किलो मिनरल मिक्सचर एवं 1 किलो नमक मिलाना होगा |
  • चूँकि आपके Bakri Palan Business की रीढ़ की हड्डी बकरियां हैं | इसलिए बकरियों का हमेशा अच्छे से ध्यान रखें |
  • अपनी बकरियों को पहचानिए, और जो बकरी आपको कमजोर या अस्वस्थ नज़र आती है | उसको तंदुरुस्त करने के लिए जरुरी दवाएं, टीके अवश्य लगायें |
  • अपनी बकरियों को हमेशा तंदुरुस्त रखने और अपने Bakri Palan Business को सफल बनाने हेतु | बकरियों का समय समय पर टीकाकरण करवाते रहें |
  • ध्यान रहे बकरियों को कभी भी दूषित गन्दा खाना देने से बचें | दूषित खाना खाने से बकरियों की तबियत बिगड़ सकती है |
  • बकरियों के बच्चो का बकरियों की तुलना में अधिक ध्यान रखें |
  • अपने Bakri Palan Business का आय और व्यय दोनों का अच्छे ढंग से रिकॉर्ड मेन्टेन करके रखें |

Bakri Palan Business को करने में लोगो को कुछ कठिनाइयां आती हैं | जिससे उनकी रुचि इस Business में कम होती जाती है |

  • वास्तव में जो लोग Bakri Palan बिज़नेस कर रहे होते हैं | अधिकतर लोगो को इस बिज़नेस की पर्याप्त मात्रा में जानकारी नहीं होती है | जिससे वे इस बिज़नेस को पारम्परिक तरीके से ही कर रहे होते हैं |
  • इंडिया में जिन्दा बकरियों को एक स्थान से दुसरे स्थान ले जाने हेतु | विशेष तौर पर कोई वाहन नहीं है | अगर कोई बकरियों को एक स्थान से दूसरे स्थान पर ले भी जाता है, तो वही ट्रक और टेम्पो में ही भरकर ले जाता है | जिससे बकरियों की तबियत खराब भी हो सकती है |
  • ग्रामीण भारत में Bakri Palan करने वाले किसान, नए नए बकरी पालन का बिज़नेस शुरू करने वाले लोगो में बकरियों की बीमारी सम्बन्धी जानकारी के अभाव के कारण, बकरियों की मृत्यु दर काफी उच्च स्तर पर पहुँच जाती है |
  • बकरी पालने वाले व्यक्ति यह बिज़नेस शुरू करने से पहले बकरियों की नस्ल का चुनाव करना भूल जाते हैं | जिससे उनका बिज़नेस बहुत धीरे धीरे आगे बढ़ता है | और इस बीच अगर बकरियों को कोई जानलेवा रोग जैसे PPR (Pests des petits ruminants) लग गया | तो वह व्यक्ति अपनी जिंदगी में कभी भी बकरी पालने की हिम्मत नहीं कर पाता | अच्छी नस्ल का चयन बिज़नेस को जल्दी आगे बढ़ने में मदद करता है |
  • बकरियों के प्राणघातक रोगों के लिए टीके न होना, और पशुचिकत्सकीय सेवा का हर जगह उपलब्ध न होना, भी इस बिज़नेस में आने वाली एक कठिनाई है |
  • लोगो के पास एक अच्छी आय देने वाला Farm खोलने के लिए वित्त का न होना भी एक कठिनाई है | लोग वित्त न होने के कारण 15-20 बकरियों से शुरुआत करते हैं | जिससे उन्हें लाभ कमाने में बहुत अधिक समय लग जाता है | यदि 100 बकरियों से शुरुआत हो, तो परिणाम जरां जल्दी आने की सम्भावना रहती है |
  • भारतवर्ष में बहुत सारे क्षेत्र ऐसे हैं | जहाँ Bakri Palan करने वालो को उनकी अपेक्षा के हिसाब से दाम नहीं मिल पाते | इस कारण उनकी रूचि इस बिज़नेस में खत्म होने लगती है |

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